हकीकतनामा: बाँदा में दो खतरनाक वायरसों में जंग, कभी एक हावी तो कभी दूसरा


बाँदा। पूरी दुनिया दहशत में है। देश, प्रदेश के साथ जनपद में भी कोरोना महामारी की दहशत बरकरार है। शुरू में तो यह दहशत इस कदर थी कि एक भी संक्रमित मिलते ही पूरे जनपद में हो-हल्ला मच जाता था। लेकिन जैसे ही संक्रमितों की संख्या कुछ कम हुई, वैसे ही हर समय की तरह जनपद में एकछत्र राज करने वाला 'मौरंग वायरस' फिर उभर आया। अब कोरोना व मौरंग वायरस में आगे निकलने की जंग छिड़ गई है। जिनमें कोरोना वायरस का डर खत्म हो गया वो 'मौरंग वायरस' की चपेट में आ गए हैं। हालांकि दो दिन पहले जनपद में एक बार फिर कोरोना वायरस ने अपनी दमदार वापसी की है। जिले में एक साथ चार संक्रमित मिलने से लोग फिर से दहशत में दिखने लगे हैं। बावजूद इसके कई दमदार लोग व संगठन 'मौरंग वायरस' से अभी भी संक्रमित बने हुए हैं।


जहाँ हर सामने वाला व्यक्ति कोरोना महामारी को लेकर संदिग्ध बना हुआ है, वहां मौरंग वायरस का टिका रहना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। हर बार की तरह लोग व संगठन इसकी ओर खिंचे चले जा रहे हैं। लोग अपना उद्देश्य व अपने कार्य क्षेत्र को भूलकर इस बीमारी की चपेट में आते जा रहे हैं। हालांकि यह कन्फर्म है कि 19 दिन बाद 30 जून से 'मौरंग वायरस' तीन महीने के लिए कमजोर पड़ जायेगा। कहते हैं कि बरसात इस वायरस को बढ़ने से रोक देती है। इसके बाद यह एक अक्टूबर से सामने आएगा। लेकिन कोरोना वायरस रुकने का अभी कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है। इसलिए मैं तो यही कहूंगा कि भइया जान है तो जहान है। फिलहाल 'मौरंग वायरस' में न फंसकर खुद को कोरोना वायरस से सुरक्षित रखने में दिमाग लगाइए। क्योंकि जड़ें तो मौरंग वायरस की गहरी हैं, लेकिन जीवन के लिए घातक कोरोना वायरस अधिक है।