अरविंद श्रीवास्तव
बाँदा। जनपद में इन दिनों एक दीवार तैयार की गई है। उसके पास जाते ही गरीब से गरीब को भी राहत मिल जाती है। इसीलिए इसका नाम 'नेकी की दीवार' रखा गया है।
जी हां। यह दीवार सदर तहसील में स्थित है। तहसीलदार के प्रयास से इसे तैयार किया गया है। दीवार में लोगों द्वारा दिये गए पहनने के कपड़े टँगे हुए हैं। वहीं लोगों द्वारा मदद के मद्देनजर दिया गया घरेलू व जरूरत का भी सामान रखा है। जहां पहुंचकर कोई भी जरूरतमंद पहुंचकर तन ढकने के लिए कपड़े व जरूरत का सामान ले सकता है।
जिला अधिकारी हीरालाल ने कहा बांदा सदर तहसील के तहसीलदार अवधेश निगम ने नेकी की दीवार की शुरुआत कर समाज में गरीब तबके के लोगों के लिए, जिनके तन पर कपड़े नहीं होते हैं उन गरीबों के तन पर कपड़े पहुंचाने की पहल की है। तहसीलदार अवधेश निगम ने बताया कि डीएम साहब बांदा के विकास को लेकर तरह तरह की योजनाओं में काम करके उसको साकार कर के भी दिखाते हैं। उन्हीं की प्रेरणा से उन्होंने नेकी की दीवार की शुरुआत की है। जिसमें हम सभी लोगों के घर में तमाम अनुपयोगी कपड़े, जूते, चप्पल, जो हम बेकार समझकर फेंक देते हैं, वह इकट्ठे कर इसे शुरू किया है।
शहर के लगभग 18 लोगों ने अपने घर से कपड़े लाकर तहसीलदार को दिए और उन्होंने दीवार पर नेकी की दीवार लिखा कर इसकी शुरुआत की। डीएम ने सामान व कपड़े देकर मदद करने वालों को प्रशस्ति पत्र भी दिए। मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल मुकेश यादव, जेल अधीक्षक आरके सिंह सहित तमाम अधिकारियों ने कहा कि इसकी शुरुआत हम भी करेंगे।
तहसीलदार अवधेश निगम
हर तहसील में बनेगी दीवार
डीएम हीरालाल ने इसकी प्रशंसा कर इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए जिले में सभी अधिकारियों से अपील की कि वह भी अपने समाज के इस नेक कार्य में सहयोग करें। उन्होंने यह बताया कि यह बड़ा ही पुण्य का कार्य है। जल्द ही सभी तहसीलों में यह नेकी की दीवार शुरू कराया जाएगा।
देने व लेने वाले का दर्ज होगा ब्यौरा
इस पुण्य कार्य में सहयोग करने वाले दाता का नाम , पता व दिया गया सामान तहसील से ही लगाया गया एक कर्मचारी रजिस्टर में दर्ज करता है। वहीं लेने वाले का भी यही ब्यौरा दर्ज किया जाता है। इसका दुरपयोग न हो इसके लिए एक व्यक्ति को दो से अधिक कपड़े नहीं दिए जाते। वहीं मदद के लिए आये कपड़ों को धुलवाकर ठीक करने के बाद दीवार में टांग दिया जाता है।